रायपुर.
एक बिल्डर गुंडागर्दी पर उतर आया है। उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं, फिर भी पुलिस उसे पकड़ नहीं रही है। उल्टा वह लोगों को
जान से मारने की धमकियां दे रहा है। आरोपी के खिलाफ कई शिकायतों पर जांच चल रही है। बतया जाता है कि आरोपी को शहर के एक नेता का शह है, जिसके चलते उसकी गिरफ्तारी नहीं हो रही है।
पुलिस के मुताबिक समता कॉलोनी निवासी किशोर कुंदनानी 31 जनवरी 2025 को अपने घर में थे। उसी दौरान रात 9 बजे उनके मोबाइल पर खुशीराम कुंदनानी ने वाट्सऐप कॉल किया। खुशीराम ने उन्हें गाली-गलौज करते हुए धमकाना शुरू कर दिया। उसने कहा कि तुम्हारे बेटे दीपेश कुंदनानी ने मेरे खिलाफ जो रिपोर्ट दर्ज कराया है, उसे वापस ले लो। नहीं तो जान से मरवा दूंगा। आपको किसी झूठे केस में फंसवा दूंगा। जेल भेज दूंगा। मेरी ऊपर तक पहुंच है। धमकी भरे कॉल के दौरान घर पर किशोर के दोस्त भी थे। इसकी शिकायत उन्होंने आजाद चौक थाने में की। आजाद चौक पुलिस ने खुशीराम कुंदनानी के खिलाफ बीएनएस की धारा 296, 351-4 के तहत अपराध दर्ज किया है।
कई मामले दर्ज, फिर भी गिरफ्तारी नहीं
खुशीराम कुंदनानी ने कमल विहार में आरएस ड्रीमलैंड प्रोजेक्ट के नाम पर कई लोगों से धोखाधड़ी की है। प्रोजेक्ट में फ्लैट बेचकर कई लोगों से लाखों रुपए लिए, लेकिन उन्हें फ्लैट नहीं दिया। खुशीराम के खिलाफ धोखाधड़ी के दो मामले टिकरापारा थाने में दर्ज हैं। एक मामले में उमेश श्रेष्ठ को वर्ष 2015 में फ्लैट बेचा था। 51 लाख रुपए लेने के बाद भी उसे फ्लैट नहीं दिया। उमेश की शिकायत पर खुशीराम के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ। दूसरी एफआईआर दीपेश कुंदनानी ने टिकरापारा में दर्ज कराया। दीपेश से भी लाखों रुपए लेकर फ्लैट नहीं दिया था। इससे करीब तीन साल पहले आजादचौक थाने में राजनांदगांव के बुजुर्ग से लाखों रुपए ठगने का मामला दर्ज हुआ था। तीनों मामले में आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई, उल्टा टिकरापारा के मामले के दोनों पीडि़तों पर ही आरोपी ने एफआईआर दर्ज करवा दिया। इससे पीडि़त ही परेशान हैं। पुलिस आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर रही है और वह दूसरों को केस वापस लेने के लिए धमका रहा है।
नहीं चुका रहा है पैसा, भटक रहे लोग
आरोपी के खिलाफ रेरा और टि्ब्यूनल से भी कई फैसले आ चुके हैं। इसके बाद भी उसका पालन जिला प्रशासन नहीं करवा रहा है। खुशी पालीवाल का मामला भी ऐसा ही है। निशी ने खुशीराम से वर्ष 2014 में फ्लैट खरीदा था। फायनेंस कराकर पूरी राशि जमा कर दिया। इसके बाद भी उन्हें फ्लैट नहीं मिला। मामला रेरा में गया। रेरा ने आरोपी को क्षतिपूर्ति देने और फ्लैट को उनके नाम रजिस्ट्री कराने का आदेश दिया। टि्ब्यूनल के आदेश के बाद भी आरोपी पूरी राशि जमा नहीं कर रहा है। वहां से भी उसे बार-बार समय दिया जा रहा है। इससे पीडि़त पक्ष को पूरी राशि नहीं मिल पा रही है।