इसी दौरान सौरभ शर्मा और चेतन गौड़ का मेडिकल भी कराया गया। बाद में शरद जायसवाल को भी रिमांड पर लेने के बाद उनको एक स्थान पर थाने की सुरक्षा में रखा गया। हालांकि जिस तरह से अभी तक की लोकायुक्त की सुस्ती सामने आई है, उससे ऐसा लग रहा है कि जांच एजेंसी ने सवाल और जवाब दोनों तय कर रखे हैं।
जानकारी के मुताबिक लोकायुक्त ने पुलिस रिमांड पर लेने के बाद पहले दिन चेतन गौड़ और सौरभ शर्मा को पुलिस कमिश्नरी के एक थाने में रखा था। सुबह होते ही उनको थाने से लोकायुक्त लाया गया। जहां एक कमरे में दोनों को रखा गया।
सौरभ शर्मा के घर छापेमारी के बाद दस्तावेज की जमावट भी नहीं की गई थी। उसके गिरफ्तार होने के बाद सौरभ के घर से दस्तावेजों की एक फाइलिंग की गई। इस दौरान करीब दो घंटे का समय लगा। इस दौरान सौरभ को लग रहा था कि उससे फिल्मी अंदाजा में सवाल-जवाब होंगे लेकिन जिस तरह के सवाल हुए, उन पर वह इन्कार ही करता रहा है।
सौरभ शर्मा, चेतन गौड़ और शरद जायसवाल को एक साथ रखने को लेकर लोकायुक्त के एक अधिकारी राजी नहीं थे। जबकि जांच टीम उन्हें एक साथ ही रखना चाह रही है। अभी तीनों को शहर के ही थानों में रखा जा रहा है।
हालांकि पुलिस रिमांड के दौरान उनका थाना बदलती रहेगी। इस दौरान लोकायुक्त के दो पुलिसकर्मी थाने में तैनात किए गए हैं। खाना भी जांच के बाद खिलाया जा रहा है।
बुधवार को रिमांड के दौरान सौरभ के स्वजन उससे मिलने लोकायुक्त और हमीदिया अस्पताल पहुंचे, लेकिन पुलिस ने मुलाकात करवाने से मना कर दिया। उनका कहना था कि मामला संवेदनशील है। ऐसे बिना अनुमति के मुलाकात संभव नहीं है।