योजना को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के जापान दौरे से लौटने के बाद अंतिम रूप दिया जाएगा। राशि एक-दो माह में किसानों के आधार से लिंक बैंक खातों में एक बड़ा कार्यक्रम कर अंतरित की जाएगी।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान किसानों से 2,700 रुपये में गेहूं और 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने का वादा किया था। संकल्प पत्र में भी इसका उल्लेख किया गया।
जब गेहूं का उपार्जन प्रारंभ हुआ और बोनस की घोषणा नहीं हुई तो कांग्रेस ने सरकार ने वादाखिलाफी का आरोप लगाया। बाद में सरकार ने प्रति क्विंटल 125 रुपये बोनस देने का निर्णय लिया।
दिसंबर, 2024 में राज्य सरकार ने तय किया कि धान उत्पादक किसानों को बोनस देने के स्थान पर प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह दो हजार रुपये प्रति हेक्टेयर रहेगी। कृषि विभाग ने मुख्यमंत्री की घोषणा के अनुरूप योजना का प्रारूप तैयार किया है।
योजना का लाभ अधिक से अधिक किसानों को मिले इसलिए इसके दायरे में लघु, सीमांत और बड़ी जोत वाले सभी किसान इसमें शामिल किए जाएंगे। हालांकि, इसमें अधिकतम सीमा रखी जाएगी यानी पांच हेक्टेयर तक किसानों को लाभ मिलेगा।
प्रदेश में इस वर्ष किसानों ने 38.86 लाख हेक्टेयर में धान की बोवनी की थी। छह लाख 368 हजार 654 किसानों से 43 लाख 47 हजार 206 टन धान सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा है। बाजार में दाम कम होने के कारण बड़ी संख्या में किसानों ने उपज रोककर भी रखी है।
इस वर्ष कितने किसानों ने धान की खेती की, यह जानकारी राजस्व विभाग से ली जा रही है। विभाग गिरदावरी करता है, जिसमें यह जानकारी रहती है कि किस किसान ने कितने क्षेत्र में किस फसल की खेती की है।
समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए पंजीयन 31 मार्च तक