मध्यप्रदेश सरकार वक्फ बोर्ड की प्रॉपर्टी का फिजिकल वेरिफिकेशन कराएगी। इसके लिए सभी जिला कलेक्टरों से पांच दिन में डिटेल मांगी गई है। इसमें वह प्रॉपर्टी भी शामिल है, जिस पर अतिक्रमण है। साथ ही निष्क्रांत संपत्ति (विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए लोगों की संपत्ति) के दायरे में आने वाली प्रॉपर्टी का ब्योरा भी शामिल है।
कलेक्टरों को राजस्व विभाग की मदद से जानकारी पोर्टल पर अपडेट कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसकी रिपोर्ट सरकार दिल्ली में संयुक्त संसदीय समिति को भेजेगी। इधर, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सनवर पटेल ने कहा है कि वक्फ बोर्ड से संबंधित जानकारी दिल्ली भेज दी गई है। राज्य शासन से कब्जे और अतिक्रमण संबंधित जानकारी अभी भेजी जाना बाकी है।
तहसील स्तर पर पासवर्ड किए जारी सरकार ने कलेक्टरों से वक्फ प्रॉपर्टी के नामांतरण और उस पर किए गए अतिक्रमण के साथ-साथ प्रॉपर्टी के अलगाव, हस्तांतरण, विक्रय की भी जानकारी भी मांगी है। निष्क्रांत संपत्ति, पट्टा की संपत्ति, किराए पर दी गई संपत्ति और शासकीय भूमि से संबंधित जानकारी भी पोर्टल पर अपडेट करना होगा। इसके लिए तहसील स्तर पर लोगो और पासवर्ड भी जारी किए जा रहे हैं। साथ ही तहसील स्तरीय सूची भी वक्फ बोर्ड के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।
15 बिंदुओं पर जिलेवार जानकारी मांगी थी बता दें कि संयुक्त संसदीय समिति की दिल्ली में 26 दिसंबर को बैठक हुई थी। इसमें मप्र वक्फ बोर्ड से संबंधित प्रॉपर्टी की 15 बिंदुओं पर जिलेवार जानकारी मांगी गई थी। इसके बाद प्रदेश के पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव अशोक बर्णवाल ने सभी कलेक्टरों और संभागायुक्तों को पत्र लिखा था।
इसमें कहा था कि वक्फ बोर्ड ने WAMSI-MP पोर्टल पर वक्फ रजिस्टर, सर्वे सूची और राजपत्र अधिसूचना से मिलान करते हुए प्रॉपर्टी की ऑनलाइन जानकारी दर्ज कर दी है। बाकी प्रॉपर्टी के फिजिकल वेरिफिकेशन और अन्य कार्यों के लिए राजस्व विभाग से सहयोग लेने के लिए कहा था।
कहा- हमारी 90% जमीन पर अवैध कब्जा मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने कहा कि प्रदेश में वक्फ की 14,986 संपत्ति है। वक्फ बोर्ड की जानकारी के मुताबिक हमारी 90 प्रतिशत से अधिक जमीन पर अवैध कब्जा है। जिसकी जानकारी हमने जेपीसी को दे दी है। कुल 15 पॉइंट में जानकारी संयुक्त संसदीय समिति ने मांगी थी। जिसमें से 12 बोर्ड से संबंधित थी और बाकी 3 बिंदुओं पर राजस्व विभाग को जानकारी देनी है।
वक्फ बोर्ड और राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में अंतर पटेल ने कहा कि वक्फ बोर्ड और राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में अंतर है। 40 साल पहले के मौजूद वक्फ के खसरा रिकॉर्ड में दूसरे नंबर हैं। राजस्व के रिकॉर्ड में यह खसरे के नंबर बंदोबस्त के बाद बदल गए हैं। राजस्व विभाग और कलेक्टरों यह करना है कि खसरों का मिलान हो जाए कि वक्फ में यही नंबर दर्ज है।
साथ ही संपत्ति किसके कब्जे में यह भी जानकारी देना है। कई जिलों में नई तहसील बन गई हैं। उसका भी ब्योरा देना है। संसदीय समिति चाहती है कि किसी की संपत्ति वक्फ में अनधिकृत रूप से दर्ज न हो और किसी का कब्जा वक्फ की प्रॉपर्टी पर नहीं हो।